Monologue: Pardox (Hindi)
“ Fernando Pessoa ”. आप सोचोगे की ये कौन हैं ? और मैं अपनी बात इस इन्सान से क्यूं शुरू कर रही हू ?? ये भाई सा ’ ब एक पोर्तुगिस कवि थे | बहोत सारी बाकि चीजों के साथ इन्होने शायद अस्सी - नब्बे साल पहेले एक बहोत ही महतवपूर्ण बात की थी | उन्होंने कहा था की “Life is full of paradoxes, as roses are of thorns.” जीवन विरोधाभासों से भरा हैं , वैसे ही जैसे गुलाब काटों से ! Fernando Pessoa की ये बात जब मेरे humanities के प्रोफेसर बताते थे तब बहोत ही अजीब लगती थी | विरोधाभास ? Paradox ?? Life was so much fun at that time and there was nothing that was not fitting into the scheme of things . हर वो चीज़ जो मैं चाहती थी हो रही थी उन दिनों में , और मैं सोचती थी के ये विरोधाभास किस बला का नाम हैं ? चौदह साल पहेले की वो बात आज शायद थोड़ी थोड़ी समज आ रही हैं | नहीं नहीं , मैं कोई आर्ट्स की स्टूडेंट नहीं थी . टेक्नीकल फिल्ड मैं हूँ . मेनेजर लेवल की प्रोफाइल हैं मेरी | 7 digit की ann...